गल्र्स काॅलेज की यूथरेडक्राॅस की छात्राओं ने ‘‘दादी-नानी संग दिन गुजारा’’
शास. डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की यूथरेडक्राॅस की छात्राओं ने दादी-नानी संग दिन गुजारा, उन्होनें सिर्फ न बातचीत की बल्कि गीत-संगीत एवं नृत्य भी किया।
नानी श्रीमती माधुरी विश्वास ने छात्राओं को पढ़ाई, कॅरियर को प्रथम प्राथमिकता देने की समझाईश दी। सभी बुजुर्गों ने अपने जीवन के मधुर एवं कटु अनुभव सांझा किये। यूथ रेडक्राॅस प्रभारी डाॅ. रेश्मा लाकेश ने बताया कि महाविद्यालय विगत कई वर्षों से पुलगांव स्थित वृद्धाश्रम से जुड़ा है और छात्रायें नियमित रूप से यहां आकर जन्मदिन एवं विभिन्न त्यौहार मनाती है। उन्होनें कहा कि मानव जीवन, विकास की एक सतत् एवं स्वभाविक प्रक्रिया है, जिसकी लम्बी श्रृंखला माता के गर्भ से प्रारंभ होकर वृद्धावस्था को पार करती हुई मृत्यु को प्राप्त करती है। इसमें वृद्धावस्था जीवन का आखरी एवं अंतिम पड़ाव है। परम्परागत सामाजिक व्यवस्था में वृद्धजनों को आदर एवं सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था, परन्तु वर्तमान में बदलती सामाजिक एवं पारिवारिक दशा के कारण अनेक समस्याओं ने जन्म लिया है।
डाॅ. मीनाक्षी अग्रवाल ने जानकारी दी कि वृद्धजनों की समस्याओं को देखते हुए बालकों तथा महिलाओं की तरह ही, इन्हें भी समाज की कमजोर कड़ी के रूप में प्रत्येक देश में मान्यता प्राप्त हो चुकी है, साथ ही वृद्धावस्था में अनेक समस्यायें संतान के साथ संबंध में तनाव, एकाकीपन, मान-सम्मान एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, आय का कम हो जाना, सक्रिय सेवा से सेवानिवृत्ति, अधिकारों में कमी, खाली समय की उपयोग की समस्या, स्वास्थ्य संबंधी समस्या, क्रियाशीलता में कमी, मानसिक शक्ति क्षीण होना, मानसिक तनाव, अनिद्रा आदि।
डाॅ. अल्का दुग्गल ने इन समस्याओं का समाधान बताया कि इस अवस्था में सामाजिक सुरक्षा, पेंशन व्यवस्था, वृद्धाश्रम की स्थापना, चिकित्सा सेवा, मनोरंजन, उचित सम्मान एवं सुखद पारिवारिक वातावरण आदि है।
यूथरेडक्राॅस वालेन्टियर - एकता, ऊषा, सिमरन, पायल साहू, ज्योति यादव, सीमा यादव, आरती, विनु सेन, यामिनी, चित्रलेखा ने अपनी सहभागिता की।