Hindi is the common stream for all the faculties, viz., Arts, Commerce, Science And Home Science, having Hindi language and Hindi Literature as its two branches.
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The existing Posts and strength are:-
Professor- 1 Post
Asst. Professor- 2 Posts
Hindi Literature:
Strength in Under Graduate - More than 350
Hindi Language:-
Strength in Under Graduate(B.A. Part I,II & III) About 1100
Strength in Under Graduate(B.Sc. Part I,II & III) - About 480
Strength in Under Graduate(B.Com. Part I,II & III) - More Than 1150
Strength in Post Graduate- About 60
The various departmental activities being conducted regularly are ‘Literary Activities’,’Guest talks’, Celebration of 'Hindi Diwas & Jayanti' etc
The National Seminar on ”हास्य व्यंग्य का जीवन दर्शन” Was held in 2009 and National seminar in 2016-17.
The department of Hindi is privileged to be the registered ‘Research Center’ in Hemchand Yadav Vishwavidyalaya, Durg, for the various research scholars who are pursuing work for Ph.D.
Activities Of Department 2018-2019
मुक्तिबोध की कविताओं में जीवन का यथार्थ है -
शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग में सुप्रसिद्ध साहित्यकार कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की जन्मशती मनाई गयी। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने मुक्तिबोध के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया।
एम.ए. हिन्दी की छात्रा भावना सोनवानी ने ‘‘अंधेरे में’’ कविता के अंश का गायन किया। कु. अनुपमा ठाकुर ने मुक्तिबोध के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय दिया तो वही कु. निकिता पाण्डे ने ‘‘मुझे कदम-कदम’’ पर कविता का पाठ किया।
हिन्दी विभाग की प्राध्यापक ज्योति भरणे ने मुक्तिबोध के जीवन एवं उनकी कवितायात्रा को रेखांकित करते हुए राजनांदगांव के संस्मरण प्रस्तुत किए।
कु. अम्बरीश त्रिपाठी ने वर्तमान संदर्भों में मुक्तिबोध की कविताओं की प्रासंगिकता पर विचार रखते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक है।
प्राचार्य डाॅ. तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि मुक्तिबोध की कविताओं में जीवन का यथार्थ है। उनका संपूर्ण व्यक्तित्व उनकी रचनाओं में परिलक्षित होता है। वे अपने समाज के शब्दशिल्पी-चित्रकार थे। उनकी कविताओं में आने वाले दृश्य, स्थान या संकेत दरअसल उन्होनें अपने आस-पास के परिवेश से ही उठाया है जिसे वे ‘संवेदनात्मक ज्ञान’ भी कहते है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. यशेश्वरी धु्रव ने कहा कि मुक्तिबोध की कविताओं में वैज्ञानिक दृष्टि, अन्तर्राष्ट्रीय समक्ष स्पष्ट झलकता है। उनकी कविताएं जिंदगी के तनाव और स्मृति का लेखा है। कार्यक्रम में मुक्तिबोध जन्मशती पर इस वर्ष विभिन्न आयोजन तथा राजनांदगांव के त्रिवेणी परिसर भ्रमण की रूपरेखा तय की गयी।
महाविद्यालय की छात्राओं ने महाकवि रचनाकार मुक्तिबोध को श्रद्धासुमन अर्पित किया।
पं. दीनदयाल जन्मशती समारोह आयोजित पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचार ‘‘नये भारत के निर्माण’’ में महत्वपूर्ण है:- चंद्रिका चंद्राकर -
शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 15 सितम्बर से आयोजित पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती समारोह का समापन विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दुर्ग की महापौर श्रीमती चन्द्रिका चंद्राकर थी। इस अवसर पर पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन दर्शन प्रदर्शनी आयोजित की गई। छात्राओं को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी से परिचित कराया गया तथा नवीन भारत के निर्माण का संकल्प भी दिलाया गया।
महाविद्यालय में आयोजित निबंध, भाषण, वाद-विवाद, चित्रकला, संगीत एवं नृत्य स्पर्धाओं में विजयी छात्राओं को महापौर ने पुरस्कृत किया।
अपने उद्बोधन में उन्होनें पं. दीनदयाल के जीवन के आदर्श मूल्यांे को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि सरकार भी उनमें एकात्म मानववाद पर अनुसरण करते हुए विभिन्न योजनाएँ क्रियान्वित भी है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुशील वन्द्र तिवारी ने पंडित उपाध्याय के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला तथा सबका साथ सबका विकास की शासन की नीति को पंडित जी के आदर्शाें एवं दर्शन पर आधारित बताया जो हर वर्ग के हित में सफलता पूर्वक संचालित है। कार्यक्रम संचालन डाॅ. ऋचा ठाकुर ने किया। इस अवसर पर पार्षद श्रीमती अल्का बाघमार तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित थी।