शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग में ‘प्रेमचंद की कहानी- ईदगाह, कफन और गोदान की जुबानी’ कार्यक्रम का आयोजन कर मुंशी प्रेमचंद को याद किया गया।
एम.ए. की छात्रा परवीन बानो ने प्रेमचंद की कहानी, ईदगाह, कु. काजल ने गोदान के स्त्री पात्रों धनिया और मालती का शब्द-चित्र प्रस्तुत किया। बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्राएँ वैभवी चैबे एवं आकांक्षा ठाकुर ने घीसू और माधव का चरित्र निभाकर प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘कफन’ का वाचन किया। एम.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा भावना सोनवानी ने प्रेमचंद के कालजयी उद्धरणों को प्रस्तुत किया जो आज भी प्रासंगिक है। हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ. धु्रव ने इन कहानियों का सामाजिक एवं वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। डाॅ. अम्बरीश त्रिपाठी ने प्रेमचंद के जीवन संघर्षों को बताते हुए प्रेमचंद को न केवल हिन्दी का बल्कि विश्व साहित्य का महत्वपूर्ण कथाकार बताया।
अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डाॅ. डी.सी. अग्रवाल ने हिन्दी समाज में प्रेमचंद की लोकप्रियता और व्यापक जनस्वीकृति के महत्व को रेखांकित किया।
प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि प्रेमचंद की कहानियाँ जनजीवन से जुड़ी हुई हैं अगर उन्हें जनजीवन का चितेरा कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
प्रेमचंद की कहानियों के वाचन से आत्मावलोकन के साथ ही आत्मविस्तार भी होता है। प्रेमचंद तत्कालीन समाज की विषमतापूर्ण यथार्थ को अपनी रचनाओं में प्रस्तुत कर आज भी हमारे समाज के युवाओं को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
डाॅ. ऋचा ठाकुर ने सत्यजित रे कि फिल्म सद्गति में अपने अभिनय के माध्यम से प्रेमचंद की कहानियों की सशक्तता को रेखांकित किया। इस अवसर पर प्राध्यापक एवं छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन डाॅ. ज्योति भरणे ने किया।