गल्र्स काॅलेज में
‘बोनसाई’ कला पर कार्यशाला
शासकीय डाॅ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग में गृहविज्ञान के तत्वाधान में बोनसाई कला पर कार्यशाला आयोजित की गयी। गृहविज्ञान की स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम के अनुरूप बोनसाई कला, लेंड स्केपिंग और टेरेस गार्डनिंग पर रोचक और ज्ञानवर्धक आयोजन हुआ।
प्रभारी प्राध्यापक डाॅ. रेशमा लाकेश ने बताया कि भिलाई के पर्यावरण एवं उद्यानिकी विशेषज्ञ अभय खननग एवं श्रीमती तरूपती खननग के द्वारा छात्राओं को इस विषय पर सारगर्भित जानकारी दी गयी तथा प्रायोगिक रूप से बोनसाई तैयार करना सिखाया।
श्री अभय जी ने बताया कि उथले पात्रों में पेड़ों को विकसति करने की कला बोनसाई है। इसमें पौधे की जड़ों एवं उपरी हिस्से की कटिंग की जाती है। मिट्टी के उथले पात्र सबसे ज्यादा उपयुक्त होते है।
इन पात्रों में काली मिट्टी, ईंट के टुकड़े, वर्मी कपोस्ट खाद, मोटी रेत, कोको चूरा लिया जाता है। उन्होनें पौधे को लेकर उससे बोनसाई तैयार कर सिखाया। उन्होनें बताया कि तैयार पौधे को 15-20 दिन छांव में रखना है तथा साल में एक बार इसकी मिट्टी बदलना एवं जड़ों की कटिंग की जाती है।
पीपल, बरगद जैसे पौधोें के बोनसाई रूप काफी आकर्षक लगते है। अभय खननग ने बोनसाई संग्रहण की प्रदर्शनी भी लगाई जिसे सभी ने बहुत सराहा। 30-40 वर्षों के बोनसाई पौधे आकर्षण का केन्द्र रहे।
कार्यशाला में लेंड स्केपिंग एवं टेेरेस गार्डनिंग पर भी प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी तथा प्राध्यापक एवं छात्राएँ उपस्थित थे।