शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग में हिन्दी दिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
भाषा सिर्फ सम्प्रेषण का माध्यम ही नहीं अपितु मानव हृदय के उद्गारों एवं भावनाओं की अभिव्यक्त करने वाली अक्षय निधि है और हृदय के भाव सर्वाधिक सशक्त तौर पर कविता में प्रस्तुत होते हैं।
इस मूल मर्म को ध्यान में रखकर हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह अवसर हिन्दी भाषा के दो प्रमुख कवियों भारत रत्न माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं प्रसिद्ध गीतकार गोपाल दास नीरज जी को याद करने का भी था। जिन्होनें सातवीं शताब्दी के अमीर खुसरो, कबीर, सूर, तुलसी से लेकर निराला, प्रसाद, महादेवी वर्मा आदि की हिन्दी काव्य परम्परा में महत्वपूर्ण रचनात्मक योगदान दिया है। अटल जी एवं नीरज जी को समर्पित काव्य गोष्ठी की शुरूआत डाॅ. ऋचा ठाकुर प्राध्यापक (नृत्य) द्वारा दोनों कवियों की काव्य पंक्तियों के वाचन से हुआ। बी.ए. प्रथम की छात्रा वैभवी चैबे ने अटल जी द्वारा रचित ‘‘गीत नहीं गाता हूँ’’ को प्रस्तुत किया।
‘संवादों के शहर में मैं मौन बेचती हूँ’’ स्वरचित कविता द्वारा तृप्ति नायर ने श्रोताओं का मन छू लिया। स्नातकोत्तर की छात्रा काजल ने हिन्दी भाषा पर कविता सुनाई। वाणिज्य की छात्रा प्रज्ञा मिश्रा ने बेटियों पर एक नज्म प्रस्तुत की। संगीत के प्राध्यापक मिलिंद अमृतफले ने नीरज के फिल्मी गीतों से परिचय कराते हुए, ‘‘कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे’’ सुनाया। भावना, परवीन बानो, अनीता, विभा, मोनिका, ममता आदि विभिन्न कक्षाओं की छात्राओं ने अपने कविता पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही प्रोफेसर अनिल जैन, डाॅ. निसरीन हुसैन, डाॅ. यशेश्वरी धु्रव एवं डाॅ. ज्योति भरणें आदि प्राध्यापकों ने भी अपनी रचनाओं के पाठ से सभी श्रोत्राओं को सम्मोहित किया।
हिन्दी दिवस पर आयोजित इस गोष्ठी के रचनात्मक महत्व को समझाते हुए प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने न केवल छात्राओं से हिन्दी भाषा को पढ़ने रचने एवं गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया अपितु नीरज की प्रसिद्ध पंक्ति ‘‘जितना कम सामान रहेगा/उतना सफर आसान रहेगा’’ भी सुनाई। प्राचार्य ने प्रतिभागियोें को डायरी देकर सम्मानित भी किया।
हिन्दी विभाग की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डाॅ. अम्बरीश त्रिपाठी ने किया। आभार प्रदर्शन डाॅ. यशेश्वरी धु्रव ने किया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित थे।