शासकीय डाॅ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ की लोक एवं आदिवासी कला पर आधारित ‘‘आदि-शिल्प’’ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 27 से 29 फरवरी तक किया जा रहा है। चित्रकारी एवं मूर्तिकला पर आधारित इस कार्यशाला का आयोजन ‘रजा फाण्डेशन, नई दिल्ली के सहयोग से किया जा रहा है। रजा फाउण्डेशन के द्वारा आयोजित रजा उत्सव के कार्यक्रम नईदिल्ली, मण्डला, लखनऊ और दुर्ग में आयोजित किये जा रहे है।
कार्यशाला के आयोजन सचिव प्रो. योगेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति से युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित करने तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकारों से विभिन्न विधाओं की बारिकयाँ सीखने का अवसर स्थानीय प्रतिभाओं को मिलेगा। इस कार्यशाला में चिरायु सिन्हा जो मूर्तिकला एवं ‘व्हील कला’ में पारंगत है विभिन्न भारतीय संस्कृति की गवाह, कलाकृतियों का निर्माण सिखाएंगे।
गोदना पेंटिंग्स में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त सुफीयानों की कलमकारी को सीखने का अवसर मिलेगा।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि ‘तुम्बाकला’ पर पहली बार ‘नरेन्द्र पोयम (कोंडागांव) प्रशिक्षण देंगें। मिट्टी के खिलौने व बड़ी कलाकृतियाँ सिखाने शिवमंगल तथा छापा कला के सिद्धहस्त कलाकार सिमरन नरूला भी शामिल होगे।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के अन्तर्गत गुजरात की शिल्पकला पर भी इस कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया जायेगा।
इस अवसर पर रजा चित्र प्रदर्शनी का आयोजन भी 27 से 29 फरवरी तक नेहरू आर्ट गैलरी, सिविक सेन्टर भिलाई में किया जा रहा है।
कार्यशाला का उद्घाटन 27 फरवरी को हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डाॅ. अरूणा पल्टा करेंगी।
इस अवसर पर रजा फाउण्डेशन की ट्रस्टी एवं विख्यात साहित्यकार डाॅ. उद्यन बाजपेयी भी उपस्थित रहेंगे।